(Ganga Dusshera 2023 date) गंगा दशहरा त्योहार का इतिहास और महत्व।
(Ganga Dusshera date 2023) गंगा दशहरा त्योहार का इतिहास और महत्व।
भारत एक ऐसा देश है जो अपने संस्कृति, त्याहारों, धर्म, भाषा, जाति, नदी आदि के लिए दुनिया में जाना जाता है। भारत देश संस्कृतियों का देश है, धर्मों का देश है, इस देश में अलग अलग भाषा के लोग, अलग अलग जाति के लोग आपस में मिलजुल कर, भाईचारे के साथ रहते हैं। यही सारी चीज मिलकर भारत को दूसरे देश से अलग देश बनाता है। यही खूबसूरती है इस देश की। यह बहुत सारे त्योहारों को सब आपस में मिलकर अच्छे से, धूमधाम से मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार गंगा दशहरा का त्योहार है। गंगा दशहरा यानी की गंगा नदी इस दिन को गंगा नदी का अवतरण धरती पर हुआ था। ऐसा बोला जाता है कि क्या दिन गंगा नदी पहली बार धरती पर अवतरण हुई थी। तो आओ हम सब मिलकर गंगा दशहरा त्योहार के बारे में जानते हैं।
भारत देश में हिन्दू धर्म के अनुसार विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। ये त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि इससे आपसी सम्बन्धों की मजबूती एवं आपसी बोंडिंग को भी बढ़ावा मिलता है। भारतीय सभ्यता में नदियों को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इन्हें भगवान का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। भारत में इसी भावना के आधार पर गंगा नदी को देवी मां गंगा के रूप में पूजा जाता है। यह पर्व भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार और ज्ञानक्षेत्री हरिद्वार में खूब धूमधाम से मनाया जाता है।
गंगा दशहरा।
गंगा दशहरा का ये त्योहार भारत में मनाया जाता है और इस त्योहार को गंगा नदी के पहली बार धरती पर अवतरण के पक्ष पर मनाया जाता है। यह त्योहार प्राचीन काल से मनाया जाता आ रहा है यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है, जो इस बार मई महीने के 30 तारीख को है। भारत में गंगा नदी को एक बहुत ही पवित्र नदी माना जाता है। भारत में गंगा नदी को माता कह कर पुकारा जाता है इस दिन लोग इनकी पूजा करते हैं और गंगा नदी के तट पर जाकर दीप जलाते हैं और मां गंगा की आराधना करते हैं और गंगा नदी के पानी को ले जाकर अपने घर में उस पानी को छिड़कते हैं।
गंगा दशहरा का इतिहास।
गंगा दशहरा भारत का एक बहुत ही प्राचीन त्योहार है। इसके पीछे बहुत सारी पुरानी कथाएं, मान्यताओं और महत्वपूर्ण इतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं।
प्राचीन काल की एक मान्यता ये है कि उस समय पर एक राजा भागीरथी हुआ करते थे वो भगवान राम के पूर्वज माने जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि राजा भगीरथ के पूर्वजो की मुक्ति के लिए गंगा नदी में उनका तर्पण करने की जरूरत थी। राजा भागीरथी के जो दादा और पिता जी थे उन्होंने बहुत घोर तपस्या किए थे गंगा नदी को धरती पर लाने के लिए लेकिन वो असफ़ल रहे उसके बाद राजा भागीरथी ने तपस्या की और मां गंगा उनसे प्रसन्न होकर उनका धरती पर आने का आग्रह स्वीकार किया। उस समय गंगा सिर्फ स्वर्ग में बहती थी और जब मां गंगा ने धरती पर आने का आग्रह स्वीकार किया तो राजा भागीरथी के सामने एक समस्या उत्पन्न हो गई। वह समस्या यह थी कि मां गंगा का बहाव बहुत तेज था अगर वह धरती पर आती तो तबाही का खतरा था। तब उन्होंने भगवान शिव की आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया सिर्फ भगवान शिव के पास ही इतनी शक्ति थी कि वो मां गंगा के बहाव को धीरे या नियंत्रित कर सके। शिव जी के प्रसन्न होने के बाद उन्होंने ने राजा भागीरथी के गंगा नदी की धरती पर लाने का आग्रह स्वीकार किया। उसके बाद ब्रम्हा जी ने अपने कमंडल से गंगा की धारा बहाई और शिव जी ने उन्हें अपने जटाओं में समेट लिया उसके बाद उन्हें एक जटा खोलकर गंगा को हिमालय में प्रवेश कराया। राजा भागीरथ ने हिमालय के पहाड़ों के बीच में गंगा नदी के लिया रास्ता बनाया और उन्हें मैदान इलाकों तक लेकर आए उसके बाद उन्हें अपने पूर्वजों का गंगा नदी में तर्पण कर उन्हें मुक्ति दिलाई।
गंगा माँ की आराधना, साधना।
भारत में गंगा नदी को एक पवित्र नदी मानी जाती है और इस नदी को यहां मां का दर्जा दिया गया है। लोगो का कहना है कि जो भी मानव भौतिक जीवन जी रहा है और उनसे गलती में या अनजाने में जो भी पापकर्म हुए हैं, पापकर्म से मुक्ति या छुटकारा पाने के लिए उनके लिए मां गंगा की पूजा, आराधना और साधना करनी चाहिए। लोगो का ये मानना है कि गंगा नदी के घाट पर दीप जालने से और उनकी साधना करने से लोगो के द्वार किए गए पापकर्म कम होते हैं। लोगो की ये साधना है कि गंगा नदी में स्नान करने से उनके द्वार किए गए पापकर्म से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।
गंगा दशहरा के दिन दान का महत्व।
भारत में पूजा के नाम पर तो हमेशा से ही दान दिया जाता है। लेकिन इस दिन दान का कुछ अलग ही महत्व होता है। इस दिन दान में सत्तू देना चाहिए और राष्ट्र के हिट के लिए या राष्ट्र के कल्याण के लिए यज्ञ कारवाना चाहिए। मां गंगा की पूजा अर्चना के बाद गंगा में स्नान करना चाहिए और हर पूजा में गंगा के पानी का उपयोग करना चाहिए।
गंगा दशहरा के दिन 10 का महत्व।
गंगा दशहरा के दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और दान देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गंगा दशहरा के दिन जो भी चीज दान की जाती है तो उसकी सांख्य 10 होनी चाहिए चाहे वो 10 फल हो, 10 अन्न के भाग, 10 सुराही या 10 पंखे। इस दिन लोगो को अपने घर में यज्ञ करना चाहिए क्यूकी इससे घर की नकरात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है।
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