रवींद्रनाथ टैगोर जयंती , जाने उनसे जुडी हुई कुछ अनमोल बातें, रहस्य, जीवन और उनका व्यवहार....👉
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती , जाने उनसे जुडी हुई कुछ अनमोल बातें, रहस्य, जीवन और उनका व्यवहार....👉
रवींद्रनाथ टैगोर एक बांग्ला कवि,गीतकर, चित्रकार, नाटककार, नोबेल विजेता और निबंधकर थे। ये तो सब जानते हैं कि उनका बहुत बड़ा नाम था साहित्य की दुनिया में, शायद ही ऐसा कोई दुसरा शख्सियत होगा जो उनके बराबर साहित्य की दुनिया में अपना नाम बनाया पाया होगा और दूसरे से अपना लोहा मनवाया होगा। तो आइए आज हम उनके जीवन के बारे में कुछ खास, विशेष और अनमोल बातो को जानते है।
जन्म :- 9 मई 1861
जन्म स्थल:- कोलकाता, ब्रिटिश भारत
पिताजी :-देबेंद्रनाथ टैगोर
माताजी:- शारदा देवी
जीवनसाथी :- मृणालिनी देवी
स्वर्गवास :- 7 अगस्त 1941
स्वर्गवास की जगह :-कोलकाता, ब्रिटिश भारत
पेशा :- कवि, गीतकार, चित्रकार, निबन्धकार और नाटककार
भाषा :- बांग्ला ,अंग्रेज़ी
पुरस्कार :- साहित्य में नोबेल पुरस्कार
रवींद्रनाथ टैगोर जी अपने 13 भाई और बहनों में सबसे छोटे थे और उन्हें सब रबी बुलाते थे। रवींद्रनाथ टैगोर जी को बचपन से ही साहित्य में रुचि थी और आगे चल कर उन्होने साहित्य को ही अपना प्रिय मित्र बनाया। उन्होने एक के बाद एक ऐसी ऐसी रचनाये, कविताये, गीत, निबंध और चित्र इजात किया था कि लोगो ने उनकी कला का लोहा मान लिया।
पहली कविता और पहला संग्रह....?
रवींद्रनाथ टैगोर जी को बचपन से ही अपने परिवार का साथ मिलने की वजह से उनकी रूचि साहित्य पर हुई और उन्होने 8 साल की उम्र में ही अपनी पहली कविता लिखी और अपनी कविता लिखने का ये सिलसिला ऐसे ही जारी रखा और 16 साल की उम्र में उन्होने 'भानुसिंह' के तहत अपना पहला कविताओ का संग्रह सबके सामने प्रस्तुत किया। रवींद्रनाथ टैगोर जी ने अपने जीवन काल में करीब 2200 से अधिक गीतो को लिखा।
टैगोर जी क्या बनाना चाहते थे ?
वैसे तो रवींद्रनाथ टैगोर जी एक कवि, गीतकार, निबंधकार, चित्रकार ये सब कुछ थे लेकिन क्या आप जानते हैं कि टैगोर एक बैरिस्टर बनना चाहते थे। जिसके लिए उन्होने 1878 इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन पब्लिक स्कूल में अपना दखिला भी लिया और बाद में वो अपने इस सपने को पूरा करने के लिए कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन कॉलेज यूनिवर्सिटी भी गए लेकिन वह से बिना पढ़ा पूरी किए बिना ही 1880 में भारत वापस लौट आए।
टैगोर जी ने किन किन देशों का राष्ट्रगान लिखा...?
रवींद्रनाथ टैगोर जी साहित्य की दुनिया में इतने निपुण थे, इतने माहिर थे कि किसी को भी अपने लेखन का लोहा मनवा लेते थे। रवींद्रनाथ टैगोर जी एकमात्र ऐसे कवि है जिन्की रचना को 2 देशो ने अपना राष्ट्रगान बनाया, भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ , टैगोर जी के ही रचना का एक हिस्सा है, और कहा जाता है कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का भी एक हिस्सा टैगोर जी के कविता से ही लिया गया है। इसीलिये रवींद्रनाथ टैगोर जी को तीन देशो के राष्ट्रगान का जनक भी कहा जाता है।
रवींद्रनाथ टैगोर जी के कुछ खास, विशेष और अनमोल विचार..😎
1 :- शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्पष्टिकरण देना नहीं है, बालक मन के दरवाजे खटखटाना हैं।
2 :- अगर आप सभी त्रुटियों के लिए अपना दरवाजा बंद कर लेंगे, तो सत्य बहार ही रह जाएगा। त्रुटियों
3 :- जो मन के पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।
4 :- जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।
5 :- उच्च शिक्षा वो नहीं जो हमें सिर्फ जानकारी देती है, बल्की वह है जो हमारे जीवन को सफलता का एक नया आयाम देती है।
6 :- जीवन को गर्मियों के फूलों की तरह और मौत को पतझड़ के पत्तों की तरह सुंदर होने दो।
7 :- बादल मेरे जीवन में तैरते हुए आते हैं वे अब ना तो कोई बारिश लेकर आते हैं और न ही तूफान। पर्ंतु वे मेरे सूर्यास्त आकाश में रंग जोड़ने के लिए आते हैं।
8 :- तथ्य बहुत सारे हैं परन्तु सत्य एक ही है।
9 :- हम दुनिया को गलत पढ़ते हैं और कहते हैं कि यह हमें धोखा देती हैं।
10 :- अगर हम किसी चीज को प्राप्त करने की क्षमता पैदा करते हैं तो सब कुछ हमारे पास आएगा जो हमारा है।
साहित्य के नोबेल पुरस्कार की कहानी....🤠 रवीन्द्रनाथ टैगोर...!
रवींद्रनाथ टैगोर जी ने बहुत सारी कविताएं, रचनाएं और गीतो को प्रकाशित किया। इन्ही पुष्तक मे से एक काव्यरचना 'गीतांजलि' थी जिसके लिए टैगोर जी को 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। हालांकि, टैगोर जी ने पुरस्कार सीधे प्राप्त नहीं किया बल्की उनकी जगह पर इंग्लैंड के राजदूत ने नोबेल पुरस्कार को लिया था। रवींद्रनाथ जी न केवल भारत के बालक एशिया के पहले व्यक्ति थे जिने साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था। रवींद्रनाथ टैगोर जी पहले गैर यूरोपीय थे जिन्हे साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
रवींद्रनाथ टैगोर जी को कौन सी उपाधि दी गई थी...?
1 :- ब्रिटिश सरकार के द्वारा टैगोर जी को नाइटहुड यानी सर के उपाय से नवाजा गया था, लेकिन जलियावाला हत्याकांड (13 अप्रैल 1919) के बाद रवींद्रनाथ टैगोर जी ने नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी थी।
2 :- रवींद्रनाथ टैगोर जी के द्वारा गांधी जी को महात्मा की उपज दिए जाने के बाद, गांधी जी ने टैगोर जो को श्रद्धांजलि देते समय टैगोर जी को गुरुदेव की उपाधि दी।
किस बीमारी से हुई थी गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी का निधन...?
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी का निधन 7 अगस्त 1941 को हुआ था, लेकिन उनकी तबीयत 1937 से ही खराब होने लगी थी। वे अपना होश खोने लगे थे और एक बार वो कोमा में भी चले गए थे जब 1940 में उनकी तबीयत खराब हुई तो उसके बाद वो ठीक नहीं हो सके और उनकी तबीयत खराब होते ही चली गई। उन्हे यूरिमिया हुआ ही था लेकिन बाद में पता चला की वो मुझे वास्तव में प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे जोकी उनके निधन का कारण भी बना।
Great job 👍
ReplyDeleteThanks 😎
Delete👍 great
ReplyDeleteThanku...🙈😎
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